Tuesday, 19 March 2013

" एक आखरी कोशिश....."


कोशिशों की भरी महफ़िलमें, सोचा मैं भी शामिल हो जाउँ,
अमर ना बन पाया तो, किसीके दिलों में याद ही बन जाउँ,
ज़ो ना पा सका, उसमें नसीब क्योँ ना दोबारा आजमाया जाये
ताकि रुक्सत के वक्त, दिल में कोइ मलाल न रह जाये।

सोचने की कोशिश कि, के किस चीज की कोशिश की जाये,
ज़वाब आया, जिंदगी के हर पहलू को दोबारा जीने की कोशिश की जाये।

तो फ़िर खुशी के उन हर लम्हों को, समेटने की आखरी कोशिश की जाये,
ग़मोंसे जो सीख मिले, उससे सीखनें की आखरी कोशिश की जाये,
सच्चे दिलसे सपने देखने की आखरी कोशिश की जाये
अधूरे ख्वाबोंको दोबारा पूरा करने की आखरी कोशिश की जाये।

किताबोंमे छिपी ज्ञान की विरासत को हासिल करने की आखरी कोशिश की जाये,
मनोरंजनसे भरे शब्दोंकी गुफ़ामें, खोने की कोशिश की जाये,
कलम और कागज़ का अटूट रिश्ता निभाने की कोशिश की जाये,
ज्ञान बांटने की खुशी प्राप्त करने की आखरी कोशिश की जाये।

जज्बातों की कदर करने की आखरी कोशिश की जाये,
किसी बेसहारा को सहारा देने की आखरी कोशिश की जाये,
किसी हारे हुए की हौसला-अफ़्जाई करने की आखरी कोशिश की जाये,
पुराने टुटे हुए रिश्तों को फ़िरसे जोडने की आखरी कोशिश की जाये।

हूँ तो खैर इंसानही, पर भगवान को पाने की आखरी कोशिश की जाये,
माँ के दूध का कर्ज चुकाने की हर नाकाम आखरी कोशिश की जाये,
कंधों पर ली हर जिम्मेदारी पूरी करने की आखरी कोशिश की जाये,
प्यार में किया हुआ हर वादा निभाने की आखरी कोशिश की जाये।


लेकिन कोशिश करनी ही है तो आखरी ही क्योँ भई??
जी-जानसे हर एक कोशिश करो क्यूँकी दुनियाँ उम्मीदपे नहीं, बल्कि 'कोशिश' पे ही तो कायम है !!!!

 ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सूरज ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~


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