Mehengai Dayan Khaye Jaat Hai!!! |
-- शक्करने पूछा तूवरसे, "बडी उदास हो क्या हुआ?"
तूवर बोली, "मैंने ऐसा क्या पाप किया के लोगोंका मेरे प्रति प्यार कम हुआ?
खैर मेरी छोडो, तुमभी तो लोगोंमें आजकल "कडवी" हो गयी हो!
हाँ सच हैं, अब पता नहीं मेरे बिना त्योहारोंका भविष्य कैसा हो!!
तूवर बोली, "मैंने ऐसा क्या पाप किया के लोगोंका मेरे प्रति प्यार कम हुआ?
खैर मेरी छोडो, तुमभी तो लोगोंमें आजकल "कडवी" हो गयी हो!
हाँ सच हैं, अब पता नहीं मेरे बिना त्योहारोंका भविष्य कैसा हो!!
-- कहीं एक आदमी गाडीसे पेट्रोल चुराते हुए पकडा गया,
पकडे जाने पर कहा, "आत्महत्या करनी थी पर घासलेट न खरीद पाया"|
पहलवानभी अब पडने लगे है ठंडे, महंगे जब होने लगे हैं काजू, बादाम और अंडे,
गाय-भैंसभी अब इतराने लगी हैं, कमबख्त इम्पोर्टेड चारा जो खाने लगी है |
-- बेचारे डॉक्टर अब कह नहीं पाते के हरी-भरी सब्जीयाँ खाना
दिनमें एक-दो सेब और रातको फलोंका ज्यूस पिना |
"होटल" शब्द आम आदमीकी डिक्शनरीसे निकाला जा चुका हैं,
"गणेशजी"के नाम पर, इस साल चंदाभी तो बढाया गया हैं |
-- पार्टीयों और डिस्को थेक्समें, उन्हींके मालिक और स्टाफ़ नाँचते हैं,
थिएटरों और मल्टिप्लेक्ससमें, अब कबूतर दाने चूगने आते हैं |
ऑटो-रिक्षा की ओर अब कदम बढते नहीं, क्योंकि पहलेकी तरह अब आमदनी बढती नहीं,
महंगाई की मार हर कोई सहता हैं, इसलिए "अतिथी देवो भव" अब कोई नहीं केहता हैं |
-- ये सब देखके दोस्तों, मनमें एक सवाल उठता हैं
क्या वाकईमें हम आजाद भारतमें जी रहे हैं?
जहाँ इन्सानों के बिच "इन्सानियत" महंगी हो रही हैं
जिवन-चक्रमें धिरे-धिरे "जिंदगी"भी महंगी हो रही हैं...धिरे-धिरे "जिंदगी"भी महंगी हो रही हैं...."जिंदगी"भी महंगी हो रही हैं ...... ||
------------------------- सूरज -----------------------
Ye poem aapne training me sunayi thi na.. Its too good.. again good work.. I think now you are used to for compliments.. :)
ReplyDeleteHaan MJ, ye wahi hai...Aur 'Compliments' to 'Salary' ki tarah hote hai....mile utne kam hai ;)
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